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                       मेरी खुद की लिखी कविता                               (मेरा बचपन ) वह मेरा प्यारा बचपन,कितना सुंदर कितना अच्छा लगता था मेरा  बचपन ! घूम-घूम के झूम-झूम के ,कैसा खेल खेलते the, सावन के रिमझिम बारिस me,कितना धूम मचाते the! बना-बनाकर कागज़ के नाव,पानी me खूब चलाते the, Maa के उन कोमल हाथों से,खूब rotiyan खाते the! बड़े प्यार से हम अपनी ,maa के गले lag जाते the, जब नींद हमें आती थी,maa के आंचल me सो जाते the! कहाँ गए ओ din,कहाँ गयी ओ रातें ,अब to बस याद बनकर,rah गया है मेरा बचपन ! वह मेरा प्यारा बचपन ,कितना सुंदर ,कितना अच्छा, लगता था मेरा बचपन !